अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल | TADKABRIGHT

 Hello दोस्तो आज फिर हम लोटे है किसी महत्वपूर्ण जानकारी के साथ । पर्यटन आज विश्व के सबसे बड़े उद्योगों में स्थान बना लिया है जिसमे से राजस्थान पर्यटन स्थलों की दृष्टि से एक संपन राज्य के रूप में बन गया है। जहां हर साल लाखों सैलानी आते है । राजस्थान में पर्यटन विभाग की स्थापना 1956 ईस्वी में की गई और 1989ईस्वी में इसे उद्योग का दर्जा दिया गया। और आज हम  बात करेंगे जो राजस्थान के प्रमुख पर्यटनो में से एक है ।

Alwar Ke Parmukh Parytan Sthal

अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल निम्न है

सरिस्का टाइगर रिजर्व

सरिस्का को 1 नवंबर 1955 को अभ्यारण का दर्जा मिला था।इसका वन क्षेत्र 1213 वर्ग किलोमीटर में है। बाघ के अलावा भी यह पर कई प्रकार के पशु – पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं जैसे– लोमड़ी, खरगोश, जंगली सूअर ,नीलगाय, तेंदुआ, चीतल, सांभर और कई सारे बंदर भी से जाते है।

मूसी महारानी की छतरी

महाराजा बख्तावर सिंह की रानी मुसी रानी की स्मृति में महाराजा विनय सिंह द्वारा बनाई गई थी इस छतरी में भारतीय और इस्लामिक शैली के मिश्रण  की छवि झलकती है। इस छतरी में सफेद रंग के मार्बल से बनी हुई 12 तो बड़े स्तंभ और 27 छोटे स्तंभ है। इस छतरी के आंतरिक भाग में भगवान श्री कृष्ण, भगवान श्री रामचंद्र जी और लक्ष्मी जी , सीता माता जी की छवि चित्रित है।


भर्तृहरि मन्दिर

राजा भर्तृहरि का मंदिर अलवर जिले में स्थित है । राजा भर्तृहरि अलवर के एक वैरागी शासक थे। महाराजा जयसिंह ने भर्तृहरि जी के मन्दिर को एक नया स्वरूप 1924 ईस्वी में दिया गया। यहां पर भर्तृहरि का मुख्य मेला भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को लगता है इस मन्दिर में एक अखण्ड ज्योति हमेशा ही जलती रहती हैं।और साथ ही इस मन्दिर के पास में श्री हनुमान जी ,शिव मंदिर और श्री राम मंदिर भी स्थित है।

भानगढ़ किला 

भानगढ़ का किला सरिस्का अभयारण्य से 50 किलो मीटर दूरी पर स्थित है। कहा जाता है आमेर के महाराजा भगवान दास के पुत्र माधव सिंह ने अपनी पहली नगरी भानगढ़ की स्थापना की थी। इस किले के बहुत सालो से वीरान पड़े रहने से यहां किंवदंतियां प्रचलित हो गई है और इस किले को भारत का सबसे जड़ा रहस्यमई स्थान होने का गौरव हासिल है। 

सिलीसेढ़ झील 

अलवर जिले में अरावली पर्वतमाला के पश्चिमी छोर पर ,पहाड़ों के बीच प्रसिद्ध सिलीसेढ़ नामक झील स्थित है। यह झील अलवर से सरिस्का जाते समय 15 किमी  के रास्ते पर पड़ती है। इस झील का निर्माण महाराजा विनयसिंह ने 1845 ईस्वी में एक बांध के रूप में करवाया था। रूपारेल नामक नदी की एक शाखा को रोक कर इस झील का निर्माण कराया गया था। यह पर सिलीसेढ़ लेक पैलेस भी है जिसे राजस्थान पर्यटन विकास निगम द्वारा हैरिटेज होटल के रूप में संचालित किया जाता हैं।सिलीसेढ़ झील में पर्यटको के लिए वोटिंग तथा बर्ड वाचिंग की भी सुविधा है। और सर्दियों के मौसम में यहां पर अनेक प्रकार की पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती है।


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