सचिन तेंदुलकर का खुलासा करियर के दौरान 10-12 सालों तक झेली थी एंग्जाइटी
क्रिकेट के खिलाड़ी और बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने रविवार को बताया कि अपने 24 साल के करियर के एक बड़े हिस्से को उन्होंने तनाव में रहते हुए बताया है और वो बाद में इस बात को समझने में कामयाब हो पाए कि मैच से पहले तनाव खेल की उनकी तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता था। कोरोना के दौरान बायो-बबल में सबसे ज्यादा वक्त बिताने से खिलाड़ियों की मानसिक सेहत पर पड़ रहे असर के बारे में बात करते हुए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि इससे निपटने के लिए इसकी स्वीकार्यता बेहद जरूरी है।
सचिन तेंदुलकर ने किया खुलासा
सचिन तेंदुलकर ने अनअकेडमी में आयोजित एक परिचर्चा में कहा, “समय के साथ मैंने महसूस किया कि खेल के लिए शारीरिक रूप से तैयारी होने के साथ आपको खुद को मानसिक रूप से भी तैयार करना बेहद जरूरी होगा। मेरे दिमाग में मैदान में प्रवेश करने से बहुत पहले मैच शुरू हो जाता था और तनाव का स्तर बहुत अधिक रहता था।“
10-12 सालों तक झेली थी एंग्जाइटी
इंटरनेशनल क्रिकेट में शतकों का शतक लगाने वाले इस इकलौते पूर्व खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने कहा, “मैंने तकरीबन 10-12 सालों तक तनाव महसूस किया था। मैच से पहले कई बार ऐसा हुआ था की जब मैं रात में सो नहीं पता था तब कहीं बाद में मैंने यह मानना शुरू कर दिया कि यह मेरी तैयारी का हिस्सा हो चुका है मैंने वक्त के साथ इसे मान कर कि मुझे रात में सोने में परेशानी होती थी।
मैं अपने दिमाग को शांत रखने के लिए कुछ और करने लगता था। इस कुछ और का मतलब में बल्लेबाजी अभ्यास, टेलीविजन देखना और वीडियो गेम्स खेलने के अलावा सुबह चाय बनाना भी शामिल हो चुका था।“
सचिन तेंदुलकर का करियर
200 टेस्ट मैच खेल कर 2013 में संन्यास लेने वाले सचिन तेंदुलकर ने कहा की “मुझे मैच से पहले चाय बनाने, कपड़े प्रेस करने जैसे कामों से भी खुद को खेल के लिए तैयार करने में सहायता मिलती थी। मेरे भाई ने मुझे यह सब सिखाया था, मैं मैच से एक दिन पहले ही अपना बैग पैक कर लेता था और यह मेरी एक आदत सी बन गयी थी।
मैंने भारत के लिए खेले अपने आखिरी मैच में भी कुछ ऐसा ही किया था। तेंदुलकर ने कहा कि खिलाड़ी को मुश्किल समय का सामना डट कर करना पड़ता है लेकिन यह जरूरी है कि वह बुरे वक्त को भी स्वीकार करें।
उन्होंने यह भी कहा की, “जब आप घायल होते है तो चिकित्सक या फिजियो आपका इलाज करते है। और मानसिक स्वास्थ्य के मामले में भी ऐसा ही है। किसी खिलाडी के लिए भी वक्त का सामना करना आम बात है। इसके लिए आपकों चीजों को स्वीकार करना होगा। यह सिर्फ खिलाड़ियों फिजियो ही लागू नहीं है बल्कि जो उनके साथ है उन पर भी यही लागू होता है। जब आप इसे स्वीकार करते है तो फिर इसका समाधान ढूंढने की भी कोशिश करते है।
“उन्होंने चेन्नई के एक होटल कर्मचारी का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी किसी से भी सीख लें सकता है। उन्होंने बताया, “ मेरे कमरे में एक कर्मचारी डोसा लेकर आया और उसे टेबल पर रखने के बाद उसने मुझे एक सलाह दी। उसने बताया कि मेरे एल्बो गार्ड की वजह से मेरा बल्ला पूरी तरह से नहीं चल रहा, यह वास्तव में सही बातब थी। उसने मुझे इस परेशानी से छुटकारा दिलाने में मेरी मदद की।“
Written By - Salman Khan
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