TadkaBright || दोस्तो राजस्थान में कई इतिहासिक इमारतें बनी हुई है जो राजस्थान को एक नई पहचान प्रधान करती हैं। राजस्थान में कई अलग-अलग तीर्थ, धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक स्थल और म्यूजियम बने हुए हैं जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है आज ऐसे ही एक राजस्थान की ऐतिहासिक दुर्ग अभ्यारण एवं मंदिर के बारे में जानेंगे जिसका नाम सिर्फ लोगों ने सुना ही है उसके बारे में जानते नहीं है। आज हम रणथंबोर के त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर की स्थापना का इतिहास जानेंगे कि यह मंदिर किसने और कहां बनवाया है और कैसे इसकी रचना की गई ।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर का इतिहास :
त्रिनेत्र गणेश जी का मंंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिलेे में रणथम्भौर किलेे के पास ही बना हुआ हैैैं जो यह मंदिर बना हुआ है बहुत ही पुराना व कई सालों पहले बनाया गया था जो सवाईमाधोपुर का प्रसिद्ध्ध मंदिर त्रिनेत्र गणेश जी बना हुुआ है। यह मंंदिर सवाईमाधोपुर के परिषद राजा, राजा हमीर सिंह चौहान के द्वारा 10 वीं सदी में बनाया गया है।
रणथंभोर से हुआ जोहर व्रत का प्रमाण:-
दोस्तो यहां की सबसे रोचक बात यह है कि चौहान वंश की राजपुताने घर की औरतों ने अलाउद्दीन खिलजी के विरोध में जो जोहर ( अपने आत्मसम्मान के लिए आग में कूद जाना ) यह मेवाड़ वंंश की सबसे बड़ी वीर गाथा है जो पूरे राजस्थान को एक नई पहचान देती हैं।
पत्र परंपरा:-
त्रिनेत्र गणेश जी के मंंदिर की एक ऐसी परंपरा जो बहुत ही रोचक है माना जाता है कि रणथंबोर त्रिनेत्रर गणेश जी के मंदिर में जो भी भक्त या शरणार्थी किसी पत्र पर लिखकर अपनी परेशानियोंं को त्रिनेत्र गणेेश जी के मंदिर में एक बड़े पात्र में डाल देते हैं फिर मंदिर का पुजारी उन पत्रों को एक-एक करके गणेश जी केे सामने पढ़़कर उन्हें सुनाता है जिससेे भक्तोंं की सारी परेशानियोंं को सुनकर उनका हल निकालते हैं।
रणथंभोर अभ्यारण:-
सवाईमाधोपुर में त्रिनेत्रर गणेश जी का मंदिर तो प्रसिद्ध है ही लेकिन उसकेे अलावा सवाई माधोपुर में रणथंबोर नामक स्थान पर रणथंबोर अभ्यारण भी स्थित है जहां पर बाघो का संरक्षण किया जाता हैं जो वहां का TIGER FOREST भी प्रसिद्ध है।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर का रास्ता:-
दोस्तों त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर तक पहुंचने के लिए एक बहुत ही खतरनाक और मनमोहक रास्ते से होकर जाना पड़ता है । इस मनमोहक रास्ते के बीच भक्त त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर तक पहुंचते हैं।
भक्तो की सुरक्षा:-
दोस्तों अगर जंगल से होकर भक्त अपनी मंजिल तक पहुंचेंगे तो उन्हें जंगल में रहने वाले बाघों से भी ज्यादा खतरा हो सकता है। लेकिन उस जंगल के अंदर बाघों का संरक्षण किया जाता हैं। फिर भी भक्ततो की सुरक्षा बहुत ही आवश्यक है इसके लिए वहां पर FOREST FORCE का भी इंतजाम किया गया है।
बाघों का संरक्षण क्यों आवश्यक:-
दोस्तों जैसा आप सभी को पता है की पूरे भारत में बाघों की प्रजातिया कम हो रही है बाघ, चिता, चिंकारा आदि भारत कि शान है। जो भूमि की मांग के कारण जंगलों का विस्तार घटता जा रहा हैं।
Posted By - Rakesh Kumar Prajapat | TadkaBright.Com
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