TadkaBright || बिजिनेस को हिंदी में व्यापार कहते हैं, और व्यापार का मतलब वस्तुओ और सेवाओं के आदान - प्रदान से है। सब व्यापार (बिजिनेस) लाभ कमाने के लिए करते हैं, लाभ से मतलब है पैसों से। सभी लोगों को पैसों की जरूरत है और इसके लिए कोई नौकरी करता हैं, कोई राजनीति करता है, कोई उपलब्धि हाँसिल करता है और कुछ लोग ही ऐसे है जो बिज़नेस (व्यापार) करते हैं।
(ii) राष्ट्रीय आय में वृदि : किसी वस्तु से विदेशो को होने वाले निर्यातों से विदेशी पूँजी (आय) प्राप्त होती है, जिससे राष्ट्रीय आय में वृदि होती है।
(iii) अतिरेक का निर्गम : पहले भूमि तथा श्रम संसाधन बेकार ही पड़े रहते थे, उनका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागिदार होने पर उनका उपयोग व महत्व बढ़ जाता है, साथ ही देश की आंतरिक मांग से उत्पादित अधिक मात्रा का निर्यात कर लाभ प्राप्त किया जाता है।
(iv) बाज़ार का विस्तार : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से वस्तुओ और सेवाओ की उप्लभ्दता राज्यों व देशो में बढ़ जाती है जिससे बाजार में वृदि होती है और कोई भी जरुरी चीज़ कही भी प्राप्त हो जाती है।
सभी काम करते हैं ताकि पैसा कमा सके और किसी की मासिक आय कम होती है, तो किसी की ज्यादा इसलिए जो समझदार लोग होते हैं वो व्यापार करना पसंद करते हैं, क्योंकि व्यापार एक ऐसा जरिया है जिसकी मदद से लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं और अधिक परिश्रम करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।
व्यापार को हम आर्थिक गतिविधि भी कह सकते है, क्योंकि व्यापार में वस्तुओ और सेवाओ का आदान - प्रदान पेसो के लिए होता है या एक दूसरे के लिए होता है।
व्यापार को हम आर्थिक गतिविधि भी कह सकते है, क्योंकि व्यापार में वस्तुओ और सेवाओ का आदान - प्रदान पेसो के लिए होता है या एक दूसरे के लिए होता है।
व्यापार क्या है? - What is Business
व्यापार (Business)
वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन लाभ के उद्देश्ये से करके उन उत्पादित वसतुओ और सेवाओ को अंतिम ग्राहक (उपभोक्ता) तक पहुँचाना ही व्यापार कहलाता है। या हम कह सकते है की किसी संगठन, कंपनी या व्यक्ति द्वारा की जाने वाली गतिविधि व्यापार कहलाती है। व्यापार राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तरो पर किया जाता है।
व्यापार 2 प्रकार के होते है (There Are 2 Types Of Business) -
1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Business)
जब वस्तुओं और सेवाओं का आदान - प्रदान दो या दो से अधिक देशो के मध्य संपन्न होता है। तो उसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता हैं।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी २ प्रकार के होते है -
- द्विपार्श्विक व्यापार: जब दो देशो के द्वारा एक दूसरे के साथ व्यापार किया जाता है, तो उसे द्विपार्श्विक व्यापार कहते हैं।
- बहुपार्श्विक व्यापार: जब अनेक देशो के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार किया जाता है, तो उसे बहुपार्श्विक व्यापार कहा जाता है।
2. राष्ट्रीय व्यापार (National Business)
किसी देश के आंतरिक भागो में होने वाले वस्तुओं सेवाओ के सेवेच्छिक आदान - प्रदान को राष्ट्रीय व्यापार कहते है।
व्यापारी (बिजनेस मैन) कौन होता है? - Who is Businessman?
वस्तुओ और सेवाओ का उत्पादन करने वाले संगठन या कम्पनी के मालिक को वयवसायी (BusinessMan) कहते है, बिजनेसमैन शब्द का इस्तेमाल पुरुष और स्त्री दोनों के लिए कर सकते है, क्योंकि BusinessWomen शब्द का इस्तेमाल बहुत कम होता है इसलिए ज्यादातर Businessman शब्द का इस्तेमाल होता है।
एक अकेले व्यक्ति को भी हम बिजनेसमैन कह सकते है या फिर कंपनी को चलाने वाले व बनाने वाले वयक्तियो को भी बिजनेसमैन कह सकते है।
व्यवसायी व्यापार में एक कंपनी या संगठन द्वारा नियोजित होता है जो व्यापार में काम है। या हम कह सकते है की जो व्यापार को चलता है वो ही बिजनेसमैन होता है।
वयवसायी कम्पनी या संगठन के द्वारा जो उत्पाद उत्पादित करते है उनको लाभ के उदेश्ये से ग्राहकों तक पहुंचाते है जिनको उस वास्तु या सेवा की आवश्यकता है।
एक अकेले व्यक्ति को भी हम बिजनेसमैन कह सकते है या फिर कंपनी को चलाने वाले व बनाने वाले वयक्तियो को भी बिजनेसमैन कह सकते है।
व्यवसायी व्यापार में एक कंपनी या संगठन द्वारा नियोजित होता है जो व्यापार में काम है। या हम कह सकते है की जो व्यापार को चलता है वो ही बिजनेसमैन होता है।
वयवसायी कम्पनी या संगठन के द्वारा जो उत्पाद उत्पादित करते है उनको लाभ के उदेश्ये से ग्राहकों तक पहुंचाते है जिनको उस वास्तु या सेवा की आवश्यकता है।
व्यापार के लाभ (Business Benefits) -
(i) उत्पादन में वृदि : राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से जुड़े राज्य व देश जब उत्पादन में विसिस्टिकरण के माध्यम से अपने यहाँ जब तक तुलनात्मक रूप से कम मूल्य पर पर किसी वस्तु को तैयार कर लेते है, तो उस मूल्य का निर्यात दूसरे राज्यों और देशो को करने लगते है, जिससे तैयार वस्तु के उत्पादन में वृदि होने लगती है।(ii) राष्ट्रीय आय में वृदि : किसी वस्तु से विदेशो को होने वाले निर्यातों से विदेशी पूँजी (आय) प्राप्त होती है, जिससे राष्ट्रीय आय में वृदि होती है।
(iii) अतिरेक का निर्गम : पहले भूमि तथा श्रम संसाधन बेकार ही पड़े रहते थे, उनका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागिदार होने पर उनका उपयोग व महत्व बढ़ जाता है, साथ ही देश की आंतरिक मांग से उत्पादित अधिक मात्रा का निर्यात कर लाभ प्राप्त किया जाता है।
(iv) बाज़ार का विस्तार : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से वस्तुओ और सेवाओ की उप्लभ्दता राज्यों व देशो में बढ़ जाती है जिससे बाजार में वृदि होती है और कोई भी जरुरी चीज़ कही भी प्राप्त हो जाती है।
(v) बड़े पैमाने पर उत्पादन : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
होने से वस्तुओ और सेवाओं की मांग मे वृद्धि होने लगती है, उस मांग की आपूर्ति करने के लिए बढ़े पैमाने पर उसका उत्पादन होने लगता है।
(vi) श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे संलगन राज्यो व देशों को विभाजन के अनुसार सभी लाभ प्राप्त होने लगते हैं।
(vii) वस्तुओ व सेवाओं की उपलब्धता : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ने पर उन वस्तुओ तथा सेवाओं की उपलब्धता होने लगती हैं जो उस राज्य या देश मे उपलब्ध नहीं होती हैं।
(viii) मुल्यो मे समता : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओ व सेवाओं के मूल्यो मे समता होने की प्रवर्ति आने लगती हैं।
(ix) सांस्कृतिक लाभ : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सभ्यता एवं संस्कृति का सर्वोतम प्रचारक है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न देशों के धर्म, भाषा, संस्कृति, परंपराओ पर रीति - रिवाज का एक दूसरे देश से परिचय होता है।
(x) संसाधनों का कुशल प्रयोग : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदार होने पर तुलनात्मक लाभ की दृष्टि से संसाधनों का कुशल प्रयोग होने लगता हैं।
बिज़नेस क्या है, बिज़नेसमैन कौन होता है, और बिज़नेस के लाभ क्या - क्या होते हैं, हमने इस लेख में जाना अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो नीचे आप अपना एक विवरण लिख सकते हैं।
Posted by - Manish Kumar Gangotri | TadkaBright.Com
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