TadkaBright || दोस्तो राजस्थान को एक एतिहासिक नगरी के नाम से भी जाना जाता हैं राजस्थान ही एक ऐसा राज्य है जहा अनेक प्रकार की संस्कृतिया पाई जाती है यहा का पहनावा, खान-पान, रीति-रिवाज राजस्थान को एक नई पहचान देती हैं । राजस्थान मे भी कुछ देवी - देवता है जो लोक देवताओ का राज्य कहाँ जाता है । मारवाड़ के अंचल मे 5 लोक देवताओ को पंच पीर के नाम से जाना जाता है।
विशेष: यह राजा सवाई भोज के पुत्र है। गुजर जाती के लोग तेजा जी को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं।इनकी फड गुुुजर लोग जो होते है वह भोपेे बाचते हैं ।इन्होने देवमाली ( ब्यावर ) मे अपनी समाधि ले ली । देवनारायण जी का प्रमुख मेला भाद्रपद शुक्ला की छटी व सप्तमी को लगता है।
हड़बू जी ( बेंगटी फलोदी)
माता का जिस दिन मेला लगता है उस दिन को बास्योडा कहते हैं और बास्योडा के एक दिन पहले रांदा पूआ कहते है इनकी पूजा खंडित प्रतिमा के रुप मे कि जाती हैं ।
केला देवी ( करोली )
Posted By - Rakesh Kumar Prajapat | TadkaBright.Com
राजस्थान के लोक देवता और लोक देवियाँ
पंच पीर : पाबूजी, हड़बूजी, रामदेवजी, गोगाजी, मांगलिया मेहा जी आदि पंच पीर के नाम से जाने जाते हैं ।
राजस्थान के प्रमुख लोक देवता
जन्म: राजस्थान के लोक देवताओ मे पाबूजी को अधिक प्रमुखता दी जाती हैं इनका जन्म 13वीं
शताब्दी मे जोधपुर मे फलोदी के निकट कोलूमन्द मे हुआ था।
विशेष योग्यता: पाबूजी विशेष रूप से गौरक्षक, प्लेग रक्षक और ऊंटों के देवता के रुप मे विशेष रुप पूजा जाता है । इन्हे भगवान लक्ष्मण का अवतार माना जाता हैं । ऊंटों के पालक राईका (रेबारी) जाती के लोग इन्हे अपना
आराद्य देव मानते है। पाबूजी का प्रमुख मेला जोधपुर
(कोलूमंड) मे चेत्र अमावस्या को लगता हैंं
गोगाजी चौहान
जन्म: गोगा जी का जन्म 11वीं सताब्दी मेे चूरु जिले के ददरेवा गाँव मे हुआ था । इन्हे जाहर पीर और साँपो के देवता के नाम सेे भी जाना जाता है ।
विशेष : गोगा जी को गौ रक्षक के नाम से भी जानते थे किसान अपने खेतो मे हल जोतने से पहले गोगा जी के नाम की एक राखी हल और हाली के बान्दते है गोगा जी के जन्म स्थान ददरेवा को शीर्ष मेड़ी और समाधि स्थान को गोगा मेड़ी भी कहते हैैं गोगा जी मेेेला भाद्रपद कृषण नवमी जिसे गोगा नवमी के नाम से जानते है । खेजड़ी के वृक्ष के निचे गोगा जी के थान होते हैं ।
रामदेव जी
जन्म: रामदेव जी का जन्म भदवा सुदी 2 संंवत 1462 को बीकानेर मे हुआ था रामदेव जी को रामसा पीर, रूणीचा रा धणी, बाबा रामदेव के नाम से प्रसिद्ध हैं ।
समाधि व विशेष: बाबा रामदेव जी ने रूणेचा मे भादवा सूदी एकाद्शी संवत 1515 को समाधि ले ली थी । बाबा रामदेव जी कामडिया पंथ की स्थापना की । इन्हे भगवान विष्णु के अवतार माना जाता हैं इन्होने अपने गुरु बाली नाथ से शिक्षा प्राप्त की । रामदेव जी का रूणीचा, जेसलमेर मे एक विशाल मन्दीर है जिसे रामदेवरा के नाम से जानते हैंं ।
तेजाजी
जन्म: वीर तेजा जी का जन्म नागौर मे खड्नाल के नागवंशीये जाट परिवार मे हुआ था राजस्थान मे मुख्य रुप से लोक प्रिय देवता तेजा जी है ।
विशेष: वीर तेजा जी अजमेर जिले के प्रमुख लोक देवता हैं । सर्प व कुत्ते के काटे प्राणी का इलाज तेजा जी के चबुतरे पर किया जाता है । लाछा गूजरी की गाये को मेरो से छुड़ाने के लिया अपने प्राण त्याग दिए । इनका मुख्य मन्दिर सुरसुरा (अजमेर) मे है हैं । इनके थान के अन्दर महिलाओ का जाना मना हैं । तेजा जी का प्रमुख मेेेला तेजा दशमी को लगता है इसमे पशु मेेेला भी भरता है।
देवनारायण जी
जन्म: इनका जन्म गौटा दडावत मे (भीलवाड़ा ) मे हुआ था । यह राजस्थान के प्रमुख लोक देवता कहे जाते हैं ।विशेष: यह राजा सवाई भोज के पुत्र है। गुजर जाती के लोग तेजा जी को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं।इनकी फड गुुुजर लोग जो होते है वह भोपेे बाचते हैं ।इन्होने देवमाली ( ब्यावर ) मे अपनी समाधि ले ली । देवनारायण जी का प्रमुख मेला भाद्रपद शुक्ला की छटी व सप्तमी को लगता है।
राजस्थान के अन्य लोक देवता
मेहा जी मांगलिया (बापणी जोधपुर)
मल्लीनाथजी ( मारवाड़)
मामा देव
जवाहर जी ( शेखवाटि )
राजस्थान की लोक देवियाँ:
करणी माता
जन्म: करणी माता जी का जन्म सुआप गाँव के चारण परिवार मे हुआ हैं । करणी माता बीकानेर के प्रमुख शासको की कुल देेेवी हैं । इन्हे चूहे वाली देवी के नाम जानी जाती हैं । करणी माता जी के मंदिर मे चूहे सबसे ज्यादा चूहे पाये जाते है।
ऐसा माना जाता है कि अगर किसी के पैर के नीचे चुहा आकर मर जाता है तो उसे मंदिर मे सोने या चांदी का चुहा चड़ा ना पड्ता है और यह भी माना जाता है कि अगर मंदिर मे सफेद चुहा दिख जाय तो उसे करणी जी केे दर्शन माने जाते हैं।
शीतला माता
माता शीतला का मंदिर चाकसू ( जयपुर ) मेे है । इस मंदिर का निर्माण महाराजा श्री माधोसिंह जी ने करवायाा था । इन्हे चेेचक कि देवी और बच्चचों कि संरक्षिका देवी भी कहाँ जाता है शीतला माता के पुजारि कुम्हार जाती के लोगौ को माना जाता हैंं ।
माता का जिस दिन मेला लगता है उस दिन को बास्योडा कहते हैं और बास्योडा के एक दिन पहले रांदा पूआ कहते है इनकी पूजा खंडित प्रतिमा के रुप मे कि जाती हैं ।
अम्बिका माता
अम्बिका माता के मन्दीर मातृदेवीयो को बढ़ावा देने के कारण इसे शक्तिपिट भी कहते हैं। इनका मन्दिर जगत
( उदयपुर) मे स्थित है इनका मन्दिर मेवाड का खजूराहो भी कहलाता हैंं
राजस्थान की अन्य लोक देविया
शीला देवी ( आमेर दुर्ग )
जीण माता
नागणेची माता ( जोधपुर )
घेवर माता ( राजसमन्द )
बाण माता ( उदयपुर )
ज्वाला माता ( जॉबनेर )
शाकम्भरि देवी ( साम्भर )
नारयणी देवी ( अलवर )
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