मातृभाषा (हिंदी) का ज्ञान क्यों घट रहा है - TadkaBright.Com


TadkaBright || हमारे देश भारत  की मातृभाषा हिंदी है  हिंदी को भारत  के अलावा विश्व के कई देशों में बोली जाती है इसी कारण  हिंदी को विश्व में बोली जाने वाली सबसे अधिक भाषाओं में नंबर चार पर आती है जबकि नंबर एक पर अंग्रेजी आती है है परंतु अब धीरे-धीरे भारत में  ही हिंदी बोली कम होती जा रही है।


उत्तर प्रदेश बोर्ड में 10वीं व 12वीं के 8 लाख से अधिक बच्चे हिंदी विषय में फेल

कुछ दिनों पहले आए उत्तर प्रदेश बोर्ड के 10वीं 12वीं के परिणाम परिणाम में 10वीं 12वीं के  8 लाख  से अधिक बच्चे हिंदी विषय  की परीक्षा में फेल हो गए हैं जो कि एक बहुत  बड़ी दुखी की बात है।

क्योंकि हमारे भारत में सबसे ज्यादा हिंदी उत्तर प्रदेश राज्य में बोली जाती है यहां की 19 करोड जनसंख्या हिंदी बोलती है और यह राज्य जनसंख्या की दृष्टि से भी भारत में प्रथम स्थान पर आता है।

यूपी बोर्ड में दसवीं के 28लाख 75 हजार विद्यार्थियों ने दसवीं की परीक्षा दी थी जिसमें से 5 लाख 27 हजार विद्यार्थी हिंदी विषय की परीक्षा में फेल हो गए और 12वीं में 23 लाख 72 हजार विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी जिसमें से 2 लाख 70 हजार विद्यार्थी फेल हो गए।

आश्चर्य है कि  इस साल 12वीं में  अंग्रेजी  परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या 5 लाख 2 हजार हैं यह एक बहुत बड़ी बात है यह दर्शाता है कि धीरे-धीरे भारत में हिंदी भाषा जो हमारी मातृभाषा है उसका प्रभाव कम होता जा रहा है और अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बढ़ता जा रहा हैयह हमारे लिए अच्छी खबर नहीं है।


यूनेस्को द्वारा  मातृभाषा पर रिसर्च

संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने बताया है कि जो बच्चे 8 साल तक अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करते हैं वह बच्चे अन्य भाषा को भी आसानी से समझ व बोल सकते हैं

यूपी बोर्ड में बच्चों के हिंदी विषय में फेल होने की वजह

जब यूपी बोर्ड में 8 लाख बच्चे फेल हो रहे हैं तो इस पर कई सारे सवाल तो होते ही है तो पता चला कि सरकारी स्कूल में हिंदी विषय के अध्यापक के डेढ़ लाख पद खाली है जोकि  इतनी बड़ी संख्या  में विद्यार्थियों के फेल होने की मुख्य वजह है।

क्योंकि हिंदी विषय बहुत ही कठिन विषय है अन्य  बोर्ड की तुलना में  यूपी बोर्ड  की  हिंदी विषय  बहुत कठिन  है और जब अगर शिक्षा व्यवस्था का यही हाल होगा तो बच्चे तो फेल  होंगे और दूसरी वजह विद्यार्थी हिंदी को हल्के में लेते हैं।
 


उन्हें लगता है कि हिंदी तो हमें आती है हम उस में अच्छे नंबरों से पास हो जाएंगे परंतु हिंदी अंग्रेजी से भी बहुत कठिन है  सरकार को इस खराब प्रदर्शन को सुधारना  की और शिक्षा हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे


Posted By - Vishal Rajvanshi | TadkaBright.Com
 

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