TadkaBright || भारत मैं कई ऐसे किले है जो प्राचीन काल के रानी व राजाओं की वीरता,साहस व बलिदान के सबूत देते है। यहा की मिटृी में शहादत की सुगंध आती है यह पर आकर सभी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।यह भारत के सबसे प्रसिद्ध किले में सें एक है चितौड़गढ़ का किला।
आइये जाने चितौड़गढ़ किलें की कुछ महत्वपूर्ण बातें -
कहाँ स्थित है चितौड़गढ़ का किला
यें किला भारत के राज्य राजस्थान के जिले चित्तौड़गढ़ में बेराच नदी के निकट पर स्थित है यहें किला 700 एकड़ में फैला भारत का सबसे बड़ा किला है। कहाँ जाता है की प्राचीनकाल में चितौड़गढ़ किलें में 1 लाख लोग निवास करतें थें जो एक जिलें या राज्य कें बराबर है।
किसनें बनवाया चितौड़गढ़ का किला
कुछ लोगों का कहना है कि यह किला महाभारत के पाडवों (पाँच भाई ) में सें एक राजकुमार भीम नें अपनीं शक्ति के दम पर एक रात में इसे बना कर तैयार करा था लेकिन इससे संबंधित कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल सके परतु जहाँ तक पता चला है की इसे 7 वीं सदीं में मौर्य वशं कें शासक द्वारा बनाया गया था।
विश्व घरोहर में शामिल चितौड़ किला
यूनेस्को के दवारा 21 जून 2013 को चितौड़ किलें को विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया है।अौर फिर इसके बाद वर्ल्ड हेरिटेज में जयपुर के मशहूर पराकोट को शामिल कर लिया गया था जिससें इन खबसूरत जगह पर पर्यटन मे काफी वृद्धि हुई अब इन एेतिहासिक जगहों पर कई महतवपूण सुविधाएँ दी जा रही है ताकि पर्यटन मे और वृद्धि हो सकें।
अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़ पर आक्रमण
सन् 1303 में मुगल कें बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को पाने के लिये चितौड़ को चारों तरफ़ से घेर लिया जिससें चितौड़ में राशन की कमी पडा गई करीब 7 महीने बाद महाराजा राव रतन सिहं ने अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध लड़ा गया जिसमें अलाउद्दीन खिलजी ने महाराजा रावल रतन सिंह को धोखे से वार करके चित्तौड़ को जीत लिया परंतु वह महारानी पद्मावती को नहीं पा सका जिसका अफसोस उसे जिंदगी भर रहा।
ऐसे कई मुग़ल बागशाह ने चितौड़ पर राज कराने की कोशिश की लेकिन बहुत कम ऐसे मुग़ल बादशाह जिनहे़ं चितौड़ पर राज कराने का सपना पुरा हुआ।
रानी पद्मावती का जौहर
चितौड़ के राजा राव रतन सिहं को मुग़ल बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने घोखें से वार कराके उनहें युद्ध मे हार दिया अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को पाने के लिये युद् लड़ा था परतुं उसे रानी पद्मावती नहीं मिल पाई ।
कयोकि रानी पद्मावती ने राव रतन सिहं के रणभूमि में जानें से पहले ही जौहर कराने की इजाज़त माँग ली थी जिसें राव रतन सिहं ने इजाजत दे दी थी अगर महाराजा राव रतन सिहं युद्ध में शाहिद हो गये तो रानी पद्मावती अपनेे शरीर का जौहर कर देगी ऐसे ही चितौड़ की हर औरत ने अपने पति से जौहर कराने की इज़ाजत माँगी।
रानी पद्मावती व 16 हजार दासीयो का बलिदान आज भी याद किया जाता है उन्होनें अपने आत्म रक्षा के लिए अपना बलिदान कर जायेगा। आज भी चितौड़ की दीवारों में इनके बलिदान की गूँज सुनाई देती है। इस महान बलिदान को हमेशा याद रखा जायेगा।
चितौड़ किले की कुछ रोचक तथ्य
चितौड़ के किलें में 180 मीटर ऊचाँई पहाड़ी पर हर साल राजपूतों दवारा 'जौहर मेला' आयोजित किया जाता है।
चितौड़ किलें में 65 ऐतिहासिक स्थल है जिसमें विजय स्तभ और कीति स्तभ आदि शामिल है।
चितौड़ किले में 84 विशाल जल निकाय थे जिसमें से अभी 22 जल निकाय रहे गये।
1568 ई•पू• में मुग़ल बादशाह अकबर ने चितौड़ पर अघिकार कर लिया
चितौड़ किलें में 7 विशाल दरवाजें है जिसमें पहाडी से दरवाजें तक पहुचाना असभंव है।
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